बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

मोदी: विकास और हिंदुत्व का पोस्टर बॉय





गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने द्वारा किए गए विकास को असंख्य बार साबित किया है। ताज्जुब की बात यह है कि अब महबूबा मुफ्ती, अमरिंदर सिंह, गुजरात कांग्रेस और सबसे खुलकर शीला दीक्षित भी मुहर लगा रही हैं। मोदी की सियासत गलत हो सकती है, लेकिन यह भी याद रखें कि उनपर लगाए गए दंगों के आरोप अभी तक किसी अदालत में साबित नहीं हुए हैं।



नरेंद्र मोदी की स्थिति देश में '32 दांतों के बीच जीभ से भी बुरी' है। इसके बावजूद मोदी जब तक गुजरात में पूर्ण बहुमत से सरकार में रहेंगे, अदालत और कानून के अलावा बहुत मुश्किल है उनका बाल बांका करना। मोदी का ध्यान आते ही मुझे इस्राइल जैसे देश का सहसा स्मरण हो जाता है। इस्राइल की भी स्थिति चारों तरफ दुश्मनों से घिरे होने के कारण 32 दांतों के बीच जीभ जैसी है। फिर भी वह अरब जगत से युद्ध जीतकर सुरक्षित है।


मोदी की विरोधी केवल कांग्रेस या गुजरात में एक भी कार्यालय-कार्यकर्ता न रखने वालीं तथाकथित सेक्युलर पार्टियां ही नहीं हैं। बीजेपी में भी खुद को पीएम की दौड़ में शामिल मानने वाले नेता और संघ देश भर में फैले मोदी के कट्टर समर्थकों से परेशान हैं। देश में विकास केंद्रित शासन चलाने में खुद को सिद्धहस्त साबित कर लिए मोदी का कद अपनी खूबियों, उपलब्धियों, रोज बढ़ रहे समर्थकों-विरोधियों के कारण बढ़ता जा रहा है।


गुजरात में नरेंद्र मोदी का अर्थ है-दुनिया में विकास के पर्याय जैसा नाम कमाने वाला, सख्त प्रशासक, हिंदू नायक, संघ और उसके सभी अनुषांगिक संगठनों का एकमात्र चेहरा, सूबे की राजनीति में राष्ट्रीय कद का एकमात्र राजनेता, निरीह विपक्षी कांग्रेस के आरोपों को हवा में उड़ाने वाला, 'देश में 7 रेसकोर्स रोड की रेस का सबसे तेज धावक', फिर भी हमेशा 32 दांतों के बीच सुरक्षित जीभ की तरह अपना काम करते रहने वाला। मीडिया में हालत यह हो गई है कि, गुजरात = नरेंद्र मोदी, (शेष में) बीजेपी और संघ भी कहीं नहीं है।


किसी को भी मोदी से निपटने का कोई कारगर रास्ता नहीं सूझ रहा है, जबकि उन्होंने अपनी पार्टी और पार्टी से बाहर विरोधियों से निपटने के लिए मोदी नाम को सूबे के विकास का पर्याय बना लिया है। तभी तो महबूबा मुफ्ती जैसी नेता को भी मोदी की तारीफ करनी पड़ती है। किसलिए? चेन्नै के एक मुस्लिम व्यापारी की फाइल को सबसे तेजी से कुछ घंटों में सरकारी महकमों से निपटाकर वापस करने के लिए। क्या देश के तथाकथित सेक्युलर मुख्यमंत्रियों को ऐसा काम करने से कोई रोकता है? भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2007 में गुजरात के मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय (पीसीआई) देश में सबसे ज्यादा थी। देश के अन्य राज्यों में भी ऐसा किया जा सकता था।


पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने एक सभा में कहा था, 'हम जीते तो, विकास के गुजरात मॉडल को अपनाएंगें।' गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी पर दिए गए एक विज्ञापन में गुजरात कांग्रेस ने विकास का श्रेय नरेंद्र मोदी को भी दिया था। अब तो हद हो गई, जब आगरा में कांग्रेस पार्टी का घोषणा-पत्र जारी होने के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा, 'वोटिंग ट्रेंड बदल गया है। विकास पर फोकस करने वालों को ही सत्ता मिल रही है। इसमें कोई दो राय नहीं की गुजरात में विकास हो रहा है। यही वजह है पुन: सरकार बनी। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए शीला दीक्षित ने कहा कि वह (नरेंद्र मोदी) क्यों बार-बार सत्ता में आ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने विकास को सुनिश्चित किया है।'


लिखित भाषण पढ़तीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी
अभिभाषण(लिखित भाषण) पढ़ने वाली सोनिया गांधी द्वारा नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहने पर गुजरात की जनता ने मोदी को वोटों का सौदागर बनाकर करारा जवाब दिया था। नरेंद्र मोदी ने वहां से अब कांग्रेसियों से मीडिया के सामने सार्वजनिक रूप से प्रशंसा पाने तक लंबा रास्ता तय किया है।


सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी और नरेंद्र मोदी, दोनों को अदालतों ने सजा नहीं सुनाई है। लेकिन, राजीव गांधी के बोफोर्स तोप दलाली के मामले को बंद करने के पक्ष में कांग्रेसियों ने यहां तक दलील दी थी कि 64 करोड़ के घोटालों की जांच में 64 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, इसलिए इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, राजीव के मामले को 'क्लोजर ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन' यानी सीबीआई ने बाद में बंद कर दिया।


मनमोहन सिंह अपने कैबिनेट की बैठकों में हमेशा शामिल रहने वाले मंत्री द्वारा किए जा रहे 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बारे में महीनों तक नहीं जान पाए, तो मोदी जनता की प्रतिक्रिया को पहले से कैसे जान सकते हैं, बढ़ा सकते हैं या घटा सकते हैं। यदि पीएम अपने रेग्युलर टच में रहने वाले कैबिनेट मंत्री को भ्रष्टाचार करने से नहीं रोक पाने के दोषी नहीं हैं, तो डायरेक्ट टच में नहीं रहने वाली जनता की प्रतिक्रिया को नहीं रोक पाने, घटाने या बढ़ाने का आरोप अदालत में साबित होने से पहले नरेंद्र मोदी को अपराधी कहना न्यायालय और न्यायपालिका पर आरोप लगाना है। अगर ऐसा है तो फिर ए. राजा जैसे मंत्री के कई दिनों तक राजकोष पर डकैती के लिए पीएम पर भी आरोप लगाया जा सकता है।

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