संघ और अक्षम भाजपा से फोबियाग्रस्त केन्द्र की यूपीए सरकार को जनता बदलना चाहती है। लेकिन उसके पास विकल्प का घोर अभाव होना लोकतंत्र की पतली हालत का द्योतक है क्योंकि जनता को विपक्ष और सरकार में कोई अंतर नहीं दिखता। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सरकार ने गहन रात्रि में सोते लोगों पर लाठीचार्ज कराके जलियावाला बाग हत्याकांड को एक मायने में पीछे छोड़ दिया है क्योंकि हत्याकांड जागते लोगों पर हुआ था और रामलीला मैदान में लाठीचार्ज सोते हुए लोगों पर यह कह कर किया गया है कि यहां अनुमति की निर्धारित संख्या से अधिक लोग है। निर्धारित संख्या से अधिक का जब पहला व्यक्ति आया, तभी उसको सरकार या पुलिस ने बाहर क्यों नहीं रोका।
गुरुवार, 16 जून 2011
स्वनाश को आतुर भयग्रस्त यूपीए सरकार
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रविवार, 5 जून 2011
आर्थिक विकास मॉडल बदलने से बचेगा पर्यावरण
दुनिया भर के मानव सम्मिलित रुप से एक वर्ष में करीब 8 अरब मीट्रिक टन कार्बन पर्यावरण में उत्सर्जित करते हैं, जबकि बदले में पर्यावरण का पारिस्थितिकी तंत्र, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार विश्व मानवता को लगभग 3258 खरब रुपये से भी कही अधिक मूल्य की सेवाएं प्रदान करता है। कितना आश्चर्यजनक तथ्य है कि मानव सभ्यता के कांटों के सौगात के बदले, प्रकृति अब भी मानव को फूलों का गुलदस्ता बिना रुके, बिना थके भेंट करती जा रही हैं। क्या सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ कृति मानव, पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाकर सृष्टि की सबसे विकृत कृति बनता जा रहा है? मानव तो नहीं, लेकिन मानव द्वारा अंगीकृत आर्थिक विकास मॉडल जरूर विकृत है।
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