बुधवार, 28 सितंबर 2011

क्यों टूटा अमेरिका का गुरूर?

कुन्दन पाण्डेय

95 वर्षों के बाद शीर्ष वैश्विक क्रेडिट रेटिंग संस्था ‘स्टैंडर्ड एण्ड पुअर’ (एस एण्ड पी) ने अमेरिका की क्रेडिट (साख) रेटिंग ‘एएए’ से घटाकर ‘एए प्लस’ करके अमेरिकी गुरूर को तोड़ दिया। परन्तु इसका जिम्मेदार अमेरिका ही ज्यादा है, एस एण्ड पी नहीं। वैश्विक कर्ज बाजार में सोने से अधिक विश्वसनीय डॉलर पर अब निवेशकों का पहले जैसा विश्वास तो नहीं रहेगा। इससे अमेरिका को निवेश या कर्ज पाने के लिए पहले से अधिक मूल्य देना होगा। साथ ही डॉलर का मूल्य गिरने से उसकी लिवाली कम होती जाएगी। ठीक ही कहा गया है कि अहंकार सर्वनाश का मूल है।

रविवार, 25 सितंबर 2011

वृद्धाश्रम, श्राद्ध की संस्कृति को मरणामंत्रण


श्राद्ध का अर्थ होता है, श्रद्धा से जो कुछ दिया जाय। किन्तु आज-कल श्राद्ध का अर्थ है पितरों के उद्देश्य से पिण्डदानादि की क्रिया। अपने भारतीय पंचांग के आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिप्रदा से अमावस्या तक के दिनों को ‘पितृपक्ष या महालय पक्ष’ कहते हैं। इस समय में अपने पूर्वजों-पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। अब भारतीय प्रगतिशील बनने के लिए धर्म से निरपेक्ष होते जा रहे हैं, इसलिए वें इसे व्यर्थ का कार्य समझ कर नहीं करते हैं। लेकिन धर्म को जानने वाले भारतीयों को पता है कि श्राद्ध से पूर्वजों-पितरों व सगे-संबंधियों को ही नहीं वरन् प्राणि मात्र को संतृप्ति की प्राप्ति होती है।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

भ्रष्टाचार व लोकपाल के भंवर में फंसा भारतीय लोकतंत्र


अन्ना के आन्दोलन से एक बात देश का हर नागरिक स्पष्ट रूप से जान गया कि भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री एक ऐसा अघोषित पद बना दिया गया है कि उस (पीएम) पर, पद पर बने रहते आरोप लगाया जा सकता है, उंगली उठाई जा सकती है, परन्तु जांच नहीं की जा सकती। जन-जन को लोकपाल से परिचित कराने के लिए अण्णा को कोटि-कोटि साधुवाद। एक ईमानदार व सच्चे इंसान (पीएम मनमोहन सिंह) की जांच से लोकतंत्र के अस्थिर होने की बात गले के नीचे नहीं उतरती।