मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

अब वोट का सुबूत भी देगी ईवीएम

अब वोट का सुबूत भी देगी ईवीएम

नई दिल्ली। सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का मतदाताओं को हक देने के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक और अधिकार मुहैया कराया। वोट डालने के बाद मतदाता अब पर्ची पर तस्दीक कर सकेंगे कि उनका वोट सही जगह गया है या नहीं।


सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 2014 के लोकसभा चुनाव में वोटरों को ईवीएम से मतदान की पर्ची देने की योजना लागू करने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने केंद्र को भी निर्देश दिया कि वह वोट वेरिफायर पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) प्रणाली लागू करने के लिए चुनाव आयोग को आर्थिक मदद दे। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर अदालत ने यह आदेश दिया। स्वामी ने ईवीएम में वीपीपीएटी लगाने और हर मतदाता को रसीद जारी करने की मांग की थी। गौरतलब है कि 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा ईवीएम में गड़बड़ियों की आशंका जताती रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने तमाम मौकों पर यह मुद्दा उठाया।


इसके अलावा अन्य तबकों से भी ऐसी आशंकाएं उठी थीं। चुनाव आयोग ने ईवीएम में किसी भी गड़बड़ी की आशंका से इन्कार किया था और इन आरोपों को बाकायदा चुनौती दी। सुनवाई के दौरान शुरुआत में आयोग ऐसी व्यवस्था के खिलाफ था, लेकिन बाद में किसी भी आशंका को दूर करने के लिए वह इस पक्ष में आ गया। अलबत्ता आयोग ने आर्थिक व प्रशासनिक कारण गिनाते हुए वीवीपीएटी को चरणबद्ध ढंग से लागू करने की बात की थी। उसका कहना था कि आम चुनाव के लिए 13 लाख वीवीपीएटी मशीनों की जरूरत होगी और देशभर के मतदान केंद्रों पर इन्हें लगाने के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।



सिर्फ दो सरकारी कंपनियां भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) ही ये मशीनें बनाती हैं। नगालैंड में इस वर्ष फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 21 मतदान केंद्रों पर वीपीपीएटी का इस्तेमाल सफल रहा था। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में चुनाव आयोग के सकारात्मक रुख और स्वामी की मेहनत की भी सराहना की।


क्या है वीवीपीएटी प्रणाली

वोट वेरिफायर पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपीएटी प्रणाली के तहत जब मतदाता ईवीएम में अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए बटन दबाता है तो कागज की एक पर्ची पर उसका सीरियल नंबर, उम्मीदवार का नाम व चुनाव चिह्न छप जाता है और मतदाता इसकी पुष्टि कर सकते हैं। यह रसीद चुनाव आयोग के पास मत के रूप में संरक्षित रहती है। इससे मतदान संबंधी धोखाधड़ी या मशीन में किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है।

साभार दैनिक जागरण, राष्ट्रीय संस्करण