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बुधवार, 18 जनवरी 2017
सोमवार, 9 सितंबर 2013
चीनी ड्रैगन के कसते शिकंजे की अनदेखी खतरनाक The avoidance of chinese dragon vise is dangerous for India
मीडिया रिपोर्टों के हवाले से खबर है कि चीनी ड्रैगन ने फिर लद्दाख के पास भारतीय सीमा
में घुसपैठ की है। ड्रैगन बार-बार भारतीय सीमा में जो अतिक्रमण कर रहा है, उसका
आधार उसकी ताकत है। ‘वह युद्ध न लड़ने पर सेना में जंग लग जाती है’ वाली अमेरिकी अवधारणा को
अपनी सेना पर लागू करने का प्रयत्न कर रहा है। तिब्बत को हड़पने के बाद भी उसका
अपने सभी पड़ोसी देशों यथा भारत, जापान, रूस, ताइवान, वियतनाम आदि से सीमा विवाद
लगातार खबरों में बना ही रहता है।
रविवार, 8 सितंबर 2013
मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011
भू-अधिग्रहण से जीवन-स्तर में वृद्धि हो
कुन्दन पाण्डेय
भू-अधिग्रहण नीति से भूस्वामी के परिवार के जीवन-स्तर में वृद्धि अवश्य होनी चाहिए, अन्यथा वह खुशी से अधिग्रहण के लिए कभी भी तैयार नहीं होगा। सारी जमीन पर राज्य के स्वामित्व वाले एमिनेंट डोमेन के सिद्धांत से यदि भूस्वामी के जीवन-स्तर पर नकारात्मक असर पड़े तो यह राज्य के लोकहित का निर्णय कभी नहीं कहा जा सकता।
बुधवार, 28 सितंबर 2011
क्यों टूटा अमेरिका का गुरूर?
कुन्दन पाण्डेय
95 वर्षों के बाद शीर्ष वैश्विक क्रेडिट रेटिंग संस्था ‘स्टैंडर्ड एण्ड पुअर’ (एस एण्ड पी) ने अमेरिका की क्रेडिट (साख) रेटिंग ‘एएए’ से घटाकर ‘एए प्लस’ करके अमेरिकी गुरूर को तोड़ दिया। परन्तु इसका जिम्मेदार अमेरिका ही ज्यादा है, एस एण्ड पी नहीं। वैश्विक कर्ज बाजार में सोने से अधिक विश्वसनीय डॉलर पर अब निवेशकों का पहले जैसा विश्वास तो नहीं रहेगा। इससे अमेरिका को निवेश या कर्ज पाने के लिए पहले से अधिक मूल्य देना होगा। साथ ही डॉलर का मूल्य गिरने से उसकी लिवाली कम होती जाएगी। ठीक ही कहा गया है कि अहंकार सर्वनाश का मूल है।
रविवार, 5 जून 2011
आर्थिक विकास मॉडल बदलने से बचेगा पर्यावरण
दुनिया भर के मानव सम्मिलित रुप से एक वर्ष में करीब 8 अरब मीट्रिक टन कार्बन पर्यावरण में उत्सर्जित करते हैं, जबकि बदले में पर्यावरण का पारिस्थितिकी तंत्र, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार विश्व मानवता को लगभग 3258 खरब रुपये से भी कही अधिक मूल्य की सेवाएं प्रदान करता है। कितना आश्चर्यजनक तथ्य है कि मानव सभ्यता के कांटों के सौगात के बदले, प्रकृति अब भी मानव को फूलों का गुलदस्ता बिना रुके, बिना थके भेंट करती जा रही हैं। क्या सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ कृति मानव, पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाकर सृष्टि की सबसे विकृत कृति बनता जा रहा है? मानव तो नहीं, लेकिन मानव द्वारा अंगीकृत आर्थिक विकास मॉडल जरूर विकृत है।
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