शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

राष्ट्रवाद को धर्म-जाति से न जोड़ा जाए Nationalism must not be associated with race

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में राष्ट्रवाद को किसी धर्म-जाति से जोड़े जाने पर सख्त एतराज जताते हुए कहा है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई राष्ट्रवाद जैसे शब्दों का प्रयोग संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है।

केंद्र व चुनाव आयोग लोगों की धार्मिक भावनाओं को अपने चुनावी मकसद के लिए भड़काने और उसे धार्मिक राष्ट्रवाद के साथ जोड़ने वाले सियासतदानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। 



कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू द्वारा विस्थापित कश्मीरी पंडितों के धर्मस्थलों की सुरक्षा के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मुजफ्फर हुसैन अत्तर ने कहा कि ‘भारतीय संविधान में स्पष्ट व्याख्या है कि भारत में रहने वाले सभी नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म अथवा जाति से हों, भारतीय हैं। संवैधानिक व्यवस्था में साफ और स्पष्ट है कि ऐसे शब्द और परिभाषाओं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अगर कोई व्यक्ति इस तरह के शब्दों, संज्ञा और परिभाषाओं का इस्तेमाल करता है या इनमें विश्वास रखता है या कोई खुद को किसी धर्म विशेष के साथ जोड़ता है तो वह भारत की मूल भावना के खिलाफ काम करता है। उसके खिलाफ संविधान और अन्य संबंधित कानूनों के मुताबिक कार्रवाई की जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि ‘भारत में एक ही राष्ट्रवाद है और वह भारतीयवाद है। भारत भारतीयों का है, चाहे वे किसी भी धर्म अथवा जाति विशेष से हों, मिलकर एक राष्ट्रवाद का निर्माण करते हैं। भारत धर्मनिरपेक्ष है। यह असंख्य लोगों की कुर्बानियों और संघर्ष से बना है।’


शुक्रवार को सार्वजनिक हुए फैसले में जस्टिस अत्तर ने कहा,मुख्य चुनाव अधिकारी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और कानून के अन्य प्रावधानों के तहत ऐसे संगठनों व लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिनके क्रियाकलापों से संविधान को आघात पहुंचता हो। मुख्य चुनाव आयुक्त ऐसे तत्वों व संगठनों को संसद अथवा विधानसभा का चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराने के लिए भी आवश्यक कार्रवाई करें। इसके साथ ही उन्होंने धर्मस्थलों की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार को सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान प्रभावित होने वालों का पक्ष भी जरूर सुना जाए। ध्यान रहे कि कुछ दिनों पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने जब खुद को हिंदू राष्ट्रवादी बताया था तो उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।


 साभार, दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण