संघ और अक्षम भाजपा से फोबियाग्रस्त केन्द्र की यूपीए सरकार को जनता बदलना चाहती है। लेकिन उसके पास विकल्प का घोर अभाव होना लोकतंत्र की पतली हालत का द्योतक है क्योंकि जनता को विपक्ष और सरकार में कोई अंतर नहीं दिखता। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सरकार ने गहन रात्रि में सोते लोगों पर लाठीचार्ज कराके जलियावाला बाग हत्याकांड को एक मायने में पीछे छोड़ दिया है क्योंकि हत्याकांड जागते लोगों पर हुआ था और रामलीला मैदान में लाठीचार्ज सोते हुए लोगों पर यह कह कर किया गया है कि यहां अनुमति की निर्धारित संख्या से अधिक लोग है। निर्धारित संख्या से अधिक का जब पहला व्यक्ति आया, तभी उसको सरकार या पुलिस ने बाहर क्यों नहीं रोका।
गुरुवार, 16 जून 2011
स्वनाश को आतुर भयग्रस्त यूपीए सरकार
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रविवार, 5 जून 2011
आर्थिक विकास मॉडल बदलने से बचेगा पर्यावरण

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