उत्तराखंड की
प्रचंड प्राकृतिक आपदा के लिए ‘भोग-उपभोग’ केंद्रित मानव
का आर्थिक विकास मॉडल सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। दो महीने पहले जारी किए गए
रिपोर्ट में कैग ने बताया कि उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 2007 में
स्थापना के बाद से इस प्रचंड आपदा के आने तक अपनी एक भी बैठक नहीं की थी। बैठक
नहीं हुई तो कोई नीति भी नहीं बनी। कागज में पैदा हुआ प्राधिकरण वास्तविक भूमि पर
पैदा ही नहीं हो पाया था आपदा के आने के पहले तक पिछले कम से कम 5 वर्षों में।