अमेरिकी समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए इंटरव्यू में भारत के विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा कि भारत पाक के साथ शांति वार्ता के तहत कश्मीर मुद्दे पर भी बातचीत करना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान आतंकी संगठनों पर कार्रवाई नहीं करके माहौल को खराब कर रहा है। भारतीय विदेश नीति की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि हम बार-बार पाकिस्तान से कश्मीर पर बातचीत करने को तैयार हो जाते हैं। एक तरफ तो भारतीय संसद पाक अधिकृत कश्मीर को वापस पाने का संकल्प प्रस्ताव पारित करती है और हुर्रियत कांफ्रेंस को छोड़कर सभी भारतीय दलों के नेता इसे भारत का अभिन्न अंग बताते हैं तो दूसरी ओर भारत सरकार बार-बार कश्मीर पर पाक से सुलह करने की इच्छा जताती है।
शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012
शनिवार, 14 अप्रैल 2012
‘शर्म शिरोमणि हैं या सांसद’?
सांसदों के लिए ‘वेतन फर्स्ट, वतन लास्ट, काम गणपूर्ति’ हो गया है
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का एक कथन है कि “राजनीतिज्ञों को नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट” के उदात्त आदर्श को ध्यान में रखकर राष्ट्र सेवा की राजनीति करनी चाहिये, परन्तु लगभग हर सत्र में असंसदीय भाषा (मारपीट, तोडफोड, माइक, टेबल, चेयर से एक दूसरे को मारने की घटनायें हो चुकी हैं) का प्रयोग करने वाले सभी दलों व सभी दलों के नेताओं ने, अपनी वेतनवृध्दि के लिए जिस एकता व त्वरा से 4 दिन के अंदर दूसरी बार अपना वेतन वर्ष 2010 में बढ़वा लिया, उतनी तीव्र गति महिला आरक्षण या लोकपाल या किसी अन्य महत्वपूर्ण विधेयक में कभी देखने को नहीं मिली।
रविवार, 1 अप्रैल 2012
दुर्गा के युवराज यूपी से भी ‘बेघर’
लोहिया ने कभी इंदिरा गांधी को ‘गूंगी गुड़िया’ कहा था। कवि हृदय पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 1971 युद्ध-विजय से हर्षित संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘दुर्गा का अवतार’ कहा। लेकिन उसी दुर्गा के ‘राहु की वक्र-दृष्टि से प्रताड़ित युवराज राहुल गांधी’ को यूपी ने भी ‘बेघर’ कर दिया। इससे पहले बिहार, इस युवराज को ‘ससम्मान इकाई अंक’ देकर ‘बेघर’ कर चुका है।
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