जो इतिहास से सबक नहीं लेता, उसे इतिहास दुहराना पड़ता है। अन्ना के आन्दोलन पर जेपी आन्दोलन के हश्र से सबक नहीं लेने पर उसके दुहराव की प्रबल आशंका है। आखिर अन्ना खुद तो लोकपाल (राष्ट्रीय) बनेंगे नहीं, न ही उनके जैसे उदात्त व्यक्तित्व के आदमी के ही लोकपाल बनने की गारंटी कोई (व्यक्ति या तंत्र) लेगा।
गांधी ने देश को आजाद कराया, जेपी ने इंदिरा के कुशासन से। लेकिन दोनों ने ही अपने सपनों को व्यावहारिक रुप से लागू करने के लिए खुद देश की बागडोर नहीं संभाली। अमेरिका की आजादी की लड़ाई जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में लड़ी गई और वे ही इसके पहले राष्ट्रपति बने, लेकिन अपने देश में गांधी ने ऐसा नहीं किया। अपने देश के सड़े हुए तंत्र के बारे में स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कई मौकों पर कह चुके हैं। फिर ऐसे सड़े हुए तंत्र से ईमानदार नौकरशाह के जनता के नौकर बनकर काम करने की संभावना न के बराबर प्रतीत हो रही है।
गांधी ने देश को आजाद कराया, जेपी ने इंदिरा के कुशासन से। लेकिन दोनों ने ही अपने सपनों को व्यावहारिक रुप से लागू करने के लिए खुद देश की बागडोर नहीं संभाली। अमेरिका की आजादी की लड़ाई जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में लड़ी गई और वे ही इसके पहले राष्ट्रपति बने, लेकिन अपने देश में गांधी ने ऐसा नहीं किया। अपने देश के सड़े हुए तंत्र के बारे में स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कई मौकों पर कह चुके हैं। फिर ऐसे सड़े हुए तंत्र से ईमानदार नौकरशाह के जनता के नौकर बनकर काम करने की संभावना न के बराबर प्रतीत हो रही है।