संसद के सन् 2002 के एक सत्र में गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ के प्रस्ताव पर लम्बे समय बाद लोकसभा में समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर जोरदार बहस की स्थिति अधिक समय बाद उत्पन्न हुई, किन्तु इस विषय पर जिस गंभीरता के साथ चर्चा होने की अपेक्षा थी वैसी चर्चा नहीं हुई। यद्यपि कुछ अपवादों के अतिरिक्त देश के विशेष और आम आदमी सभी यह सोचते और मानते हैं कि राष्ट्रीय एकता-अखण्डता के लिए देश में एक संविधान और एक समान कानून का सिद्धांत चलना चाहिए। एक आम धारणा यह भी है कि गांधी, नेहरु और अम्बेडकर के नाम पर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने वाले लोग और दल उनके बनाए संविधान को पूर्णतः लागू करने के मुद्दे पर अभी भी तैयार नहीं है, आगे भी जल्दी तैयार नहीं होगें। इस बहस में भी इस अतिमहत्व के मुद्दे को महज मज़हबी अल्पसंख्यकवादी राजनीतिक नजरिये से देखा गया।